या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
नवरात्र के छठे दिन दुर्गाजी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा और अर्चना की जाती है। ऐसा विश्वास है कि इनकी उपासना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि इन्होंने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। इनका रंग स्वर्ण की भांति अत्यंत चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं।
माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा।
कहते हैं मां अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती हैं। मां का यह रूप बेहद सरस, सौम्य और मोहक है। नवरात्र के दिनों में मां की सच्चे मन से पूजा की जानी चाहिए। लोग घट स्थापित करके मां की उपासना करते हैं जिसे खुश होकर मां कभी भी अपने बच्चों को निराश नहीं करती है।
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥
इनके पूजन में मधु अर्थात् शहद का विशेष महत्व बताया गया है, इसलिए इन्हें मधु का भोग अवश्य लगाना चाहिये। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि इनके उपासक को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता और वह सब तरह के पापों से मुक्त हो जाता है। इन्हें शोध की देवी भी कहा जाता है। इसलिए उच्च शिक्षा का अध्ययन करने वालों को इनकी पूजा अवश्य करनी चाहिये। इनकी पूजा, अर्चना और स्तवन निम्न मंत्र से किया जाता है।
चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।
अर्थात- चंद्रहास की भांति देदीप्यमान, शार्दूल अर्थात् शेर पर सवार और दानवों का विनाश करने वाली मां कात्यायनी हम सबके लिये शुभदायी हो।
मां कात्यायनी ग्रह बृहस्पति या बृहस्पति की देवी हैं। बृहस्पति ज्योतिष की संपूर्ण प्रणाली में सबसे अधिक लाभकारी ग्रह है। ग्रह गुरु या बृहस्पति की दृष्टि से जीवन में बहुत लाभ, समृद्धि और सफलता मिलेगी। कात्यायनी पूजा उपासक को ग्रह बृहस्पति से सभी लाभ मिलता है और वह जन्मकुंडली में पीड़ित बृहस्पति की वजह से समस्याओं को कम करती है।
मां कात्यायनी के पसंदीदा फूल लाल गुलाब हैं और इसलिए यह लाल गुलाब के साथ नवरात्रिके छठे दिन पूजा करना शुभ है। गणेश प्राथना के साथ पूजा शुरू करे और फिर नवरात्रि के छठे दिन समापन करने के लिए मा कात्यायनी को शोडोपोपचार प्रदान करें।
ॐ देवी कात्यायनी नमः
ॐ देवी कात्यायन्यायी नमः चन्द्रहासोज्ज्वल करा शार्दूलवरवाहना
कात्यायनी शुभम दद्याद देवी दानवघातिनी
मां कात्यायनी की छठी दिन की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है और इस दिन को महाशक्ति भी कहा जाता है। यह दिन नवरात्रि उत्सव के दौरान किए गए महालक्ष्मी पूजा के तीन दिन के तीसरे और अंतिम दिन भी हैं।मां कात्यायनी पूजा एक व्यक्ति को एक उच्च सामाजिक स्थिति और एक विशाल धन देता है। परिवारों को अच्छी समझ और शांतिपूर्ण संबंधों के माध्यम से खुशी और सद्भाव प्राप्त होता है।