आज रमा एकादशी व्रत है। हिन्दू धर्म में इस एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। यह दीवाली से चार दिन पहले आती है। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि चतुर्मास की यह अंतिम एकादशी है।
माना जाता है कि दिवाली पर अगर मां लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के बगैर की जाती है तो पूजा का फल नहीं मिलता। दीपावली पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सिलसिला कार्तिक कृष्ण एकादशी के दिन से शुरू हो जाती है। इसलिए इस एकादशी का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि चतुर्मास की यह अंतिम एकदशी है। भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी जिनका एक नाम रमा भी हैं उन्हें यह एकादशी अधिक प्रिय है, इसलिए इस एकादशी का नाम रमा एकादशी है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के पुण्य से सुख ऐश्वर्य को प्राप्त कर मनुष्य उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है। इस वर्ष यह एकादशी 15 अक्टूबर रविवार के दिन है।
रमा एकादशी की कथा के अनुसार एक बार राजकुमार चन्द्रसेन अपने ससुराल गए, जहां हर कोई एकादशी का व्रत करता था। ससुराल वालों के कहने पर इन्होंने भी ये व्रत रख तो लिया, लेकिन भूख प्यास सहन नहीं होने के कारण इनकी मृत्यु हो गई, लेकिन एकादशी के पुण्य से इन्हें अप्सराओं के साथ सुंदर नगरी में रहने का अवसर मिला। वहीं पति की मृत्यु से दुखी होकर इनकी पत्नी भगवान विष्णु की उपासना में लीन रहने लगी।एक दिन चन्द्रसेन की पत्नी चंद्रभागा को इस बात की जानकारी मिली कि उनके पति को रमा एकादशी के पुण्य से उत्तम नगरी में स्थान मिला है, लेकिन पुण्य की कमी से उन्हें जल्दी ही इस नगरी से जाना होगा। चंद्रभागा ने ऋषि वामदेव की सहायता से अपने पुण्य का कुछ भाग अपने पति को दे दिया और स्वयं भी पति के पास पहुंच गई।
इस एकादशी व्रत को जो लोग रखते हैं, उन्हें सुबह लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए और भगवान विष्णु को तुलसी एवं देवी लक्ष्मी की लाल पुष्प से पूजा करनी चाहिए। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन करवाकर स्वयं भोजन करना चाहिए।
इस व्रत का लाभ पाने के लिए इस दिन ये 4 काम जरूर करना चाहिए।
- भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय होती है इसलिए जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है इस दिन भगवान विष्णु को पूजा करते समय तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करना चाहिए।
- इस एकादशी को जो लोग रखते है उन्हें भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करें और अगले दिन ब्राह्राण को भोजन जरूर करवाएं।
- एकादशी में चावल खाने की मनाही होती है इसलिए जब भी एकादशी हो चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। इस दिन चावल खाने से उसके द्वारा किए गए सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
- एकादशी के दिन पान नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि पान खाने से मन में दूषित विचार आते हैं, इसलिए इस दिन पान नहीं खाना चाहिए।