हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम के लिए चले जाते हैं, इस अवधि के दौरान मां लक्ष्मी पूरे संसार चलाती हैं. मां लक्ष्मी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक धरती पर वास करती हैं.
16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा होती है, पहले दिन हल्दी से रंगा 16 गांठ का रक्षासूत्र हाथ में बांधना होता है. आखिरी दिन पूजा के पश्चात सूत्र को किसी भी नदी या सरोवर में वर्सिजित कर दें. बता दें कि 16वें दिन मां लक्ष्मी का विधि विधान से उद्यापन किया जाता है.
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
16वें यानी की अंतिम दिन मां की मूर्ति स्थापित करें, इसके बाद मां को लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग के रेशमी वस्त्र पहनाएं. मां लक्ष्मी की पूजा में उन्हें कमल और गुलाब के फूल जरूरी चढ़ाएं, ऐसा माना जाता है कि ये फूल मां को बेहद पंसद हैं. पूजा की थाली में पूजा पान, सुपारी, लौंग, इलायची, रोली, कुमकुम, धूप, कपूर, अगरबत्तियां जरूर शामिल करें,
पूजन के लिए सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। राहुकाल को छोड़कर आप किसी भी शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। कलश स्थापना के बाद कलश पर एक कच्चा नारियल लाल कपड़े में लपेट कर उस पर रख दें। माता महालक्ष्मी की स्थापना दक्षिण-पूर्व कोने में कीजिए। इसके लिए एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर श्वेत रेशमी कपड़ा बिछाएं और उस पर महालक्ष्मी की तस्वीर रख दें। यदि आप तस्वीर की जगह मूर्ति का प्रयोग कर रहें हो तो पाटे को आप लाल वस्त्र से सजाएं।
- कलश के बगल में एक अखण्ड ज्योति स्थापित करें, जो पूरे सोलह दिनों तक जलती रहे।
- सोलह दिनों तक सुबह तथा शाम को महालक्षमी की पूजा करें। मेवा-मिठाई या सफेद दूध की बर्फी का नित्य भोग लगाएं।
- एक लाल रेशमी धागा या कलावे का टुकड़ा लीजिये और उसमें 16 गांठे लगाएं और कल सुबह पूजा के समय घर के हर सदस्य को वह 16 गांठ वाला लाल धागा बांधे।
- जा के पश्चात इसे उतारकर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें। अब इसका प्रयोग पुनः अंतिम दिन संध्या पूजा के समय ही होगा।
- अब मैं इस मंत्र का जाप करें।
- ‘ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ अगर आपको यह मंत्र बोलने में दिक्कत आये तो आप केवल “श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। क्योंकि लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र तो “श्रीं” ही है।
- महालक्ष्मी के जप के लिये स्फटिक की माला को सर्वोत्तम कहा गया है। कमगट्टे की माला को भी उत्तम बताया गया है। ये दोनों न होने पर रूद्राक्ष की माला पर भी जप कर सकते हैं। इस मंत्र का पुरस्चरण एक लाख जप हैं। पूजा समापन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
महालक्ष्मी व्रत: इन 5 उपायों से करें पूजा, दूर होगी पैसों की परेशानी
श्राद्ध (पितृ पक्ष) का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है. श्राद्ध की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत किया जाता है. इस बार ये व्रत 13 सितंबर 2017 को है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. महालक्ष्मी व्रत की पूजा को कुछ उपायों से किया जाए तो पैसों की समस्याएं दूर हो सकती हैं. घर के किसी हिस्से को साफ कर वहां चौकी की स्थापना करें. लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्ट दल बनाकर कलश में जल रखें. कलश के पास लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
ये हैं वो उपाय-
- देवी पुराण के अनुसार यदि आप धन लाभ की इच्छा रखते हों तो महालक्ष्मी का श्रृंगार सोने, चांदी के आभूषणों से करें.
- महालक्ष्मी व्रत के दिन देवी लक्ष्मी के साथ साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करें. इससे भी धन लाभ के योग बनते हैं
- महालक्ष्मी व्रत के दिन दक्षिणावर्ती शंख में गाय का बिना उबला दूध देवी लक्ष्मी की मूर्ती का विधि-विधान से अभिषेक करें.
- देवी महालक्ष्मी की पूजा में कौड़ी अर्पित करें और बाद में इसे अपने धन स्थान जैसे- तिजोरी या लॉकर में रख लें.
- महालक्ष्मी व्रत के दिन श्रीयंत्र या महालक्ष्मी यंत्र अपने पूजा स्थान पर स्थापित करें और रोज इसकी पूजा करें. किसी लक्ष्मी मंदिर में कमल के फूल अर्पित करें. इससे भी देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेंगी
इन मंत्रों के साथ करें माता लक्ष्मी की पूजा
– ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:
– ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:
– ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
– ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:
– ऊं कामलक्ष्म्यै नम:
– ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:
– ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:
– ऊं योगलक्ष्म्यै नम:
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥